अनन्य साहित्यिक-सांस्कृतिक गौरव का आदर्श स्थापित कर गयीं उषा दीदी : शारदा

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पटना (13 फरवरी)। पदमश्री डा. उषा किरण खान के निधन पर बिहार कोकिला पद्मभूषण शारदा सिन्हा ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि बिहार की साहित्यिक-सांस्कृतिक गौरव के उन्नयन और विकास के लिए आजीवन समर्पित उषा दीदी का इहलोक से जाना। मिथिला और बिहार सहित संपूर्ण देश की नारी शक्ति के लिए अपूरणीय क्षति है।

अतीत का गंभीर ज्ञान, वर्तमान की चेतना और भविष्य के लिए दूरदृष्टि उषा दीदी के स्वभाव में अप्रतीम था, जो विरले किसी विदुषी में देखी जाती है। ज्ञान की गंभीरता, साहित्य सृजन की व्यापक उपलब्धियों के साथ उनका सहज स्वभाव उनके सानिध्य में जाने वाली सभी होनहार साहित्य संस्कृतिकर्मियों के लिए अनुकरणीय आदर्श है। इसकी सुखद अनुभूति का सौभाग्य विद्यापति भवन में उनके हाथों से मिथिला परंपरा में बेटी की विदायी का खोइछा प्राप्त करने पर हुआ।

शारदा सिन्हा ने कहा उषा किरण खान से जब भी जो जिज्ञासा की उन्होंने सहज स्वीकार कर मार्गदर्शन दिया। हम सभी के लिए उनका आदर्श सदैव अनुकरणीय रहेगा। वे सदैव अपने कृतियों में जीवंत रहेगी। मैं उनके दिवंगत आत्मा को सादर नमन करती हूं।

डा. उषा किरण खान ने हिंदी एवं मैथिली को समृद्ध किया : राज्यपाल

राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने भी प्रख्यात साहित्यकार डा. उषा किरण खान के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा है कि डा. उषा किरण खान सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं लेखिका थीं। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिन्दी एवं मैथिली साहित्य को समृद्ध करने में अविस्मरणीय योगदान दिया। उन्हें पद्मश्री, साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारत भारती और प्रबोध साहित्य सम्मान सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। राज्यपाल ने उनकी एक पुस्तक का विमोचन भी किया था। राज्यपाल ने दिवंगत आत्मा की चिर शांति एवं परिजनों को धैर्य, साहस एवं सम्बल प्रदान करने हेतु ईश्वर से प्रार्थना की है।

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