शिवयोग साधकों के लिए है विशेष

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Online Desk (8 March) दुर्लभ संयोग है कि इस वर्ष शिवयोग में महाशिवरात्रि की निशीथ पूजा का सुयोग है। इस सुयोग्य में शिवयोग साधना से सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। इस प्रसंग का शास्त्र निर्णय है- ‘ज्ञानं शिवमयं भक्ति शैवी ध्यानं शिवात्मकम्। शैवव्रतं शिवार्चेति शिवयोगोहि पंचधा ॥’ अर्थात् शिव योग पांच प्रकार के हैं- शिवज्ञान, शिवभक्ति, शिवध्यान, शिवव्रत और शिवपूजा। शिवयोग साधकों की महाशिवरात्रि पूजा आंतरिक पूजा होती है, जो ध्यान में स्थित होकर की जाती है।

इस साधना में साधक द्वारा महादेव भगवान शिव के वाम भाग में विराजित उमा का ध्यान महेश्वर के साथ करते हुए पूजा आरंभ की जाती है। अभिषेक जल के रूप में शांति, वस्त्र के रूप में विश्व व्यापकता का भाव, यज्ञोपवीत के रूप में ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति, इच्छशक्ति का अर्पण करता है। गंध के रूप में अपना स्वरूप ज्ञान, अक्षतके रूप में दयालुता, पुष्प के रूपमें शुद्ध भक्ति, धूप के रूप में मन, बुद्धि, चित, अहंकार अंतःकरण चतुष्टय, दीप के रूप में इन्द्रियों के गुण, नैवेद्य के रूप में सुख-दुःख रहित आत्मस्वरूप, ताम्बूल के रूप में सत्वरजतम तीन गुण, नमस्कार के रूप में प्राण का अर्पणकर शिवपूजा सम्पन्न करते हैं। सम्पूर्ण पूजा विधि ध्यानमें हीसम्पन्न होती है। शिवयोग में भगवान शिव की उक्ति ‘यमेन नियमेनैवमन्ये भक्त इतिस्वयम। स्थिरासन समायुक्तो महेश्वर पदान्वित ॥’ अर्थात् जो यम नियम से युक्त है वह मेरा भक्त होता है।

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