मुजफ्फरपुर 6 फरवरी। जिले के शाही लीची के पौधे अब दक्षिण और पश्चिम भारत में भी लहलहाएंगे। तमिलनाडु और महाराष्ट्र की धरती पर शाही लीची का दायरा बढ़ाने को लेकर राष्टीय लीची अनुसंधान केंद्र पहल कर रहा है। इसको लेकर परिसर में लीची बैंक की स्थापना की गई है। इस बैंक में 37 हजार पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इन पौधों को अलग-अलग राज्यों में किसानों के बीच भेजा जाएगा।
लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विकास दास ने बताया कि परिसर के पौधशाला की क्षमता 50 हजार पौधे की है। अभी यहां 37 हजार नए पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इसकी विधिवत देखभाल भी की जाती है। इसके लिए एक विज्ञानी को पौधशाला देखने की जिम्मेदारी दी गई है। इस पौधशाला में शाही और चाइना के साथ-साथ लीची अनुसंधान केंद्र की ओर से विकसित तीन प्रजातियां गंडकी योगिता, गंडकी लालिमा और गंडकी संपदा भी हैं।
तमिलनाडु और महाराष्ट को 100-100, छत्तीसगढ़ और अरुणाचल प्रदेश से सात हजार और सिक्किम राज्य से 40 शाही लीची के पौधे का ऑर्डर आया है। साथ ही झारखंड के गुमला से भी पौधे का आर्डर मिला है। किसानों के साथ कृषि विकास केंद्र की ओर से भी लीची के पौधे की डिमांड आई है। उनको समय से आपूर्ति की जाएगी।
निदेशक डॉ. विकास दास ने बताया कि हमारा लक्ष्य है कि शाही लीची का निर्यात नेटवर्क मजबूत करना है। देश से बाहर जब लीची का निर्यात होगा, तो किसानों को अच्छी कमाई होगी। इसके लिए कृषि विभाग, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड और अन्य संस्थाओं से संपर्क किया जा रहा है। जहां से किसान की मांग आ रही है, वहां पौधे भेजे जा रहे हैं।
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने शुरू किया तीन दिवसीय प्रशिक्षण
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुसहरी के द्वारा अनुसूचित जाति की महिलाओं को लीची के जरिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने और स्वरोजगार स्थापित करने के लिए मंगलवार से तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का शुरूआत किया गया। लीची अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर डॉक्टर विकास दास ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र की अनुसूचित जाति से आने वाली महिलाओं को राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा और लीची अनुसंधान केंद्र के द्वारा संयुक्त रूप से लीची से ची से जुड़े उत्पादों के ट्रेनिंग दी जा रही है साथ ही जिन अनुसूचित जाति महिलाओं के पास दो से चार डिसमिल जमीन होगी उन्हें लीची अनुसंधान केंद्र शाही लीची के पौधे भी देगी साथ ही उन पौधों की देखभाल कैसे करनी है इसकी भी ट्रेनिंग दी जा रही है। अनुसूचित जाति से आने वाली इन तीन दर्जन महिलाओं को ट्रेनिंग दे रही राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय कि डॉक्टर इशिता विश्वास ने बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा चलाए जा रहे हैं अनुसूचित जाति उत्थान योजना के तहत इन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है जिससे वह आर्थिक रूप से समृद्ध बन सके।