Bihar Express Desk (22 दिसंबर 2023) अग्रहण शुक्ल पक्ष की एकादशी 23 दिसंबर को भरणी नक्षत्र व शिव योग में मनायी जायेगी। यह एकादशी इस वर्ष की 26 वीं एवं अंतिम एकादशी होगी। उदयातिथि मान एवं द्वादशी तिथि का क्षय होने से साधु-संत, वैष्णवजन व गृहस्थ एक साथ 23 को ही मोक्षदा एकादशी का व्रत तथा गीता जयंती का त्योहार मनायेंगे।
मोक्षदा एकादशी को ही योगेश्वर श्रीकृष्ण ने महाभारत के समय अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता का ज्ञान दिये थे। इसलिए इस दिन गीता जयंती भी मनायी जाती है। एकादशी के दिन उपवास या फलाहार कर श्रीहरि की पूजा कर गीता का पाठ करने से जन्म-मृत्यु के चक्र से जातक को मुक्ति मिल जाती है तथा पूर्वजों को भी मोक्ष मिलता है। शास्त्रों में मोक्षदा एकादशी की तुलना मणि-माणिक्य चिंतामणि से की गयी है। इस एकादशी को सर्वकामना पूर्ण करने वाली एकादशी बताया गया है। आचार्य राकेश झा ने बताया कि सभी व्रतों में एकादशी को प्रधान व सर्व सिद्धि देने वाला व्रत बताया गया है।
अग्रहण शुक्ल एकादशी को शंख, चक्र, गदाधारी श्रीहरि विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा-अर्चना, विष्णु सहस्त्रनाम, पुरुष सूक्त व नारायण कवच का पाठ करने से श्रद्धाल को मोक्ष तथा सहस्त्र वर्षों की तपस्या के बराबर का पुण्य मिलता है। इसके अलावा पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी पर त्रिपुष्कर योग होने से श्रीहरि के साथ माता लक्ष्मी व शिव योग होने से हरि के साथ हर की अपार कृपा बरसेगी।
अश्विनी नक्षत्र में मेष राशि के गोचर होने पर मोक्षदा एकादशी का सुयोग बनता है। अश्विनी नक्षत्र का शासक व बुद्धि-विवेक के प्रदेता केतु ग्रह होते हैं। केतु ही जातक को मोक्ष प्रदान करता है। केतु मंगल द्वारा शासित वृश्चिक राशि में स्थित है। मेष एवं वृश्चिक दोनों ही राशियों पर मंगल ग्रह का प्रभाव होता है।