समस्तीपुर, 24 फरवरी। किसी भी सेवा में जाने से पूर्व स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जारी मेडिकल प्रमाण पत्र की मांग की जाती है। लेकिन अब स्वास्थ्य विभाग के द्वारा मुखिया के द्वारा निर्गत मेडिकल प्रमाण पत्र की मांग की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अजब-गजब निर्देश को लेकर भी कई पंचायतों में आशा चयन को लेकर पेंच फंस रहा है। कुछ मुखिया के द्वारा मेडिकल प्रमाण पत्र जारी भी किया जा रहा है, वहीं कुछ मुखिया के द्वारा मेडिकल फिटनेश प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण आशा कार्यकर्ता के चयन भी बाधित हो रही है।
इधर, स्वास्थ्य विभाग के दिए गए निर्देश के आलोक में स्वास्थ्य अधिकारी भी परेशान हैं। हालांकि समस्तीपुर के स्वास्थ्य अधिकारी ने इसको लेकर मुख्यालय से पत्राचार कर मार्गदर्शन मांगा है। मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के योजनाओं को धरातल पर उतारने एवं घर-घर पहुंचाने के उद्देश्य से हर वार्ड में आशा कार्यकर्ताओं का चयन करना है। इसके तहत आशा कार्यकर्ताओं को विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्र को भी आवेदन के साथ संलग्न करना है। इसमें शैक्षणिक प्रमाण पत्र, आवासीय, जाती, परित्यक्ता, तलाकशुदा आदि होने का प्रमाण पत्र जारी करना है। इसमें से अधिकांश प्रमाण पत्र मुखिया के द्वारा निर्गत करना है।
आवेदिका को शारीरिक एवं मानसिक रुप से स्वस्थ्य होना अनिवार्य है। इसमें शैक्षणिक प्रमाण पत्र, आवासिय, जाती, परित्यक्ता, तलाकशुदा प्रमाण पत्र मुखिया के द्वारा निर्गत करना है। आवेदिका को शारीरिक एवं मानसिक रुप से स्वस्थ्य होना अनिवार्य है। यूं कहें तो आवेदिका शारीरिक एवं मानसिक रुप से स्वस्थ्य हैं, इसका प्रमाण पत्र भी मुखिया को ही देना है।
अब ऐसी स्थिति में कई मुखिया ने प्रमाण पत्र जारी करने से कन्नी काट रहे हैं। आशा चयन में मुखिया के द्वारा आवेदिका को शारीरिक एवं मानसिक रुप से स्वस्थ्य होने का प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है। इसको लेकर सिंघिया पीएचसी प्रभारी ने सीएस को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है। प्रभारी के द्वारा दिए गए पत्र में कहा गया है कि चार आवेदिका के द्वारा इसकी शिकायत की गयी है।