पटना, 22 मार्च। इस साल होलिका दहन 24 मार्च रविवार को रात्रि (10.28 बजे के बाद) को तथा रंगों का पर्व होली 26 मार्च मंगलवार को मनाई जाएगी। इस वर्ष होली को लेकर लोगों में काफी संशय बनी हुई है। इन सभी संशयों को दूर करते हुए आपको बता दूं कि इस वर्ष होली 26 मार्च मंगलवार को मनाई जाएगी।
काशी की परंपरा के अनुसार हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष की उदय युक्त प्रतिपदा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों में होलिका दहन के बारे में बताया गया है कि पूर्णिमा की तिथि हो, रात्रि की बेला रहे और भद्रा की समाप्ति हो, इन तीनों के साथ रहने पर होलिका दहन किया जाता है। इस वर्ष 24 मार्च रविवार को पूर्णिमा तिथि दिन में 09-23 से आरंभ होगी जो सम्पूर्ण दिन-रात रहेगी। भद्रा दिन में 09-23 से रात्रि 10-28 तक रहेगा। जिसके कारण रविवार 24 मार्च को रात्रि 10-28 के बाद सम्पूर्ण रात्रि होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रहेगा। सोमवार 25 मार्च को भी दिन में पूर्णिमा तिथि होने का कारण अगले दिन मंगलवार 26 मार्च को होली होगी।
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष का उदया तिथि 26 मार्च मंगलवार को होगी और होली चैत्र माह में मनाई जाती है। होली को लेकर आचार्य श्री पाण्डेय ने कहा कि प्रह्लाद एवं होलिका की कहानी तो सभी लोग जानते हैं लेकिन शिवपुराण के अनुसार हिमालय की पुत्री पार्वती शिव से विवाह हेतु कठोर तपस्या कर रहीं थीं और शिव भी तपस्या में लीन थे। इंद्र का भी शिव-पार्वती विवाह में स्वार्थ छिपा था कि ताड़कासुर का वध शिव-पार्वती के पुत्र द्वारा होना था। इसी वजह से इंद्र आदि देवताओं ने कामदेव को शिवजी की तपस्या भंग करने भेजा।
भगवान शिव की समाधि को भंग करने के लिए कामदेव ने शिव पर अपने पुष्प वाण से प्रहार किया था। उस वाण से शिव के मन में प्रेम और काम का संचार होने के कारण उनकी समाधि भंग हो गई। इससे क्रुद्ध होकर शिवजी ने अपना तीसरा नेत्र खोल कामदेव को भस्म कर दिया। शिवजी की तपस्या भंग होने के बाद देवताओं ने शिवजी को पार्वती से विवाह के लिए राजी कर लिया।
कामदेव की पत्नी रति को अपने पति के पुनर्जीवन का वरदान और शिवजी का पार्वती से विवाह का प्रस्ताव स्वीकार करने की खुशी में देवताओं ने इस दिन को उत्सव की तरह मनाया। इस प्रसंग के आधार पर काम की भावना को प्रतीकात्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है।