रायपुर 18 फरवरी। प्रसिद्ध जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में डोगरगढ़ के चंदगिरी में बीती रात्रि शरीर त्याग दिया और ब्रम्हलीन हो गए। मिली जानकारी के अनुसार जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज राजधानी रायपुर से लगभग 100 किमी दूर डोगरगढ़ के चंदगिरी में पिछले छह माह से रुके हुए थे। वह काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। तीन दिनों से उन्होने अन्न जल त्याग दिया था और उपवास पर थे। रात्रि में लगभग ढाई बजे उन्होने शरीर त्याग दिया। आचार्य जी का जन्म 1946 में कर्नाटक के बेलगाम जिले में हुआ था। उन्होने दीक्षा राजस्थान में ली थी। वह हिन्दी और कन्नड सहित कई भाषाओं के जानकार थे। वह जैन समाज के शीर्षस्थ मुनियों में थे।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज के समाधि लेने पर गहरा दुःख व्यक्त किया। श्री मोदी ने कहा कि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए आचार्य जी के बहुमूल्य प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा। श्री मोदी ने आगे कहा, वे जीवन पर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे। प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी जैन मंदिर में आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के साथ अपनी मुलाकात को भी याद किया और कहा कि वह मुलाकात उनके लिए अविस्मरणीय रहेगी।
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे। वे जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे। यह मेरा… pic.twitter.com/mvJJPbiiwM
— Narendra Modi (@narendramodi) February 18, 2024
शोक संवेदनाओं का का सलिसिला जारी
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सोशल साइट एक्स पर कहा कि छत्तीसगढ़ सहित देश-दुनिया को अपने ओजस्वी ज्ञान से पल्लवित करने वाले आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को देश और समाज के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्य, उनके त्याग और तपस्या के लिए युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा। छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डा. रमन सिंह ने शोक व्यक्त करते हुए सोशल साइट एक्स पर कहा कि मुझे कई बार विद्यासागर महाराज का आर्शीवाद लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। हथकरघा और गौ सेवा का उन्होने जो अभियान चलाया वो भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने वाला था। आचार्य जी का जीवन जीवो के कल्याण के लिए था। वे भले ही भौतिक रूप से उपस्थित नहीं हो लेकिन उनकी शिक्षा और संस्कार हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने महान संत परमपूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए इसे देश और समाज के लिए अपूरणीय और अपने लिए व्यक्तिगत क्षति बताया। X प्लेटफॉर्म पर अपनी पोस्ट में श्री अमित शाह ने कहा “महान संत परमपूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जैसे महापुरुष का ब्रह्मलीन होना, देश और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपनी अंतिम साँस तक सिर्फ मानवता के कल्याण को प्राथमिकता दी। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूँ कि ऐसे युगमनीषी का मुझे सान्निध्य, स्नेह और आशीर्वाद मिलता रहा।मानवता के सच्चे उपासक आचार्य विद्यासागर जी महाराज का जाना मेरे लिए एक व्यक्तिगत क्षति है। वे सृष्टि के हित और हर व्यक्ति के कल्याण के अपने संकल्प के प्रति निःस्वार्थ भाव से संकल्पित रहे।विद्यासागर जी महाराज ने एक आचार्य, योगी, चिंतक, दार्शनिक और समाजसेवी, इन सभी भूमिकाओं में समाज का मार्गदर्शन किया। वे बाहर से सहज, सरल और सौम्य थे, लेकिन अंतर्मन से वज्र के समान कठोर साधक थे। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य व गरीबों के कल्याण के कार्यों से यह दिखाया कि कैसे मानवता की सेवा और सांस्कृतिक जागरण के कार्य एक साथ किये जा सकते हैं।आचार्य विद्यासागर जी महाराज का जीवन युगों-युगों तक ध्रुवतारे के समान भावी पीढ़ियों का पथ प्रदर्शित करता रहेगा। मैं उनके सभी अनुयायियों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ।“
महान संत परमपूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जैसे महापुरुष का ब्रह्मलीन होना, देश और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपनी अंतिम साँस तक सिर्फ मानवता के कल्याण को प्राथमिकता दी। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूँ कि ऐसे युगमनीषी का मुझे सान्निध्य, स्नेह और… pic.twitter.com/H2il2Y2meb
— Amit Shah (@AmitShah) February 18, 2024