दरभंगा (30 दिसंबर)। पूर्वाेत्तर भारत में लगातार बढ़ रहे ठंढ़ का प्रकोप दरभंगा में भी असर दिखाने लगा है। इस वर्ष दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में पहला ऐसा दिन गुजरा जिस दिन लोगों ने सूर्य नहीं देखा और पूरे दिन आकाश में बादल व कुहासा ने अपना साम्राज्य कायम कर लिया। हलांकि यह ठंढ़ के मौसम का पहला दिन था, लेकिन बीती रात से ही ठंढ़ी हवा का असर प्राणियों पर हो रहा था। इसके बावजूद सुबह में बच्चे स्कूल जाते देखे गए।
हलांकि उपस्थिति आम दिनों की अपेक्षा कुछ कम थी। इधर बाजार में सुबह देर से दुकानें खुल रही हैं। वहीं शाम में 7 बजते ही सड़कों पर लोगों का आवागमन नहीं के बराबर हो जाता है। वैसे कृषि से संबंधित लोगों का कहना है कि इस कोहरा से रब्बी फसल को काफी फायदा होगा। खेती के लिए कुहासा का रहना और हल्की बारिश होना शुभ है। आज से व्यक्तिगत रूप से घरों के आगे लोग अलाव जलाना शुरू कर दिए हैं।
इधर बच्चों और बूढ़ों पर ठंढ़ का सबसे ज्यादा असर पड़ने लगा है। बाहर काम करने वाले लोग गरम कपड़ों को पहनकर ही सड़कों पर निकल रहे हैं। मकान बनाने वाले मिस्त्री और मजदूर इस ठंढ़ में भी कम कपड़ों में अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। हलांकि सुबह में देर से काम शुरू होता है और शाम में काम को जल्दी खत्म करने की स्थिति बनी रहती है।
रिक्सा और ऑटोे चलाकर अपना जीवन बसर करने वाले चालक भी इस ठंढ़ में ठिठुरन महसूस करने लगे हैं। चिकित्सक ठंढ़ से बचने की सलाह देने के साथ-साथ किसी प्रकार की शरीर में दिक्कत होने पर डाक्टर की सलाह और दवा लेने की बात बताते हैं। ठंढ़ का असर मनुष्य के अलावा पशु-पक्षियों पर भी पड़ता नजर आ रहा है।