दरभंगा / 12 March बिहार के राज्यपाल और कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि विश्वविद्यालय के हित में सीनेटरों का बड़ा कर्तव्य है, इस पर भी विचार आवश्यक है। कुलाधिपति कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के 47वें अधिषद् की बैठक को दरबार हॉल में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने संस्कृत को पुरातन भाषा कहते हुए जोड़ा कि इसे सभी रोज के व्यवहार में लाएं। तभी इसकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी और विश्व स्तर पर इसे मुकम्मल स्थान मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को हम हिंदी नहीं भी सिखाते हैं, तो वे बोल लेता है। बड़ा होकर ही वे उसमें दक्ष हो पाते हैं। तो ऐसे में अगर हमलोग संस्कृत में विचारों का रोज आदान-प्रदान करेंगे, तो बेशक यह भाषा सर्वसुलभ हो जाएगी। इसका मान भी बढ़ेगा और विलुप्त होने से भी यह बच जाएगी।
कुलाधिपति ने कहा कि संस्कृत ही संस्कृति का वाहक है। तमाम प्रशासनिक कार्यों को संस्कृत में संपादित करना चाहिए। यहां तक कि आंतरिक संचिकाओं की टिपण्णी व पत्राचार भी संस्कृत में ही करना चाहिए। अपने भाषण के क्रम में उन्होंने कहा कि मैं जब हिमाचलप्रदेश का राज्यपाल था, तो वहां के राजभवन कर्मियों के लिए संस्कृत सम्भाषण शुरू कराया गया था। हर्ष का विषय यह रहा कि कुछ दिनों बाद ही वहां के कर्मी फाइलों में संस्कृत में ही टिपण्णी करने लगे। तो क्या यहां यह सम्भव नहीं है? जरूरत है इस ओर कदम बढ़ाने की। कुलाधिपति ने कहा कि सीनेट सदस्यों को भी संस्कृत का ज्ञान होना चाहिए। इसके लिए विश्ववविद्यालय में उन्होंने संस्कृत सम्भाषण शिविर का आयोजन करने के लिए कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय से कहा साथ ही उन्होंने कहा कि वे स्वयं इस सम्भाषण शिविर में आएंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय के विकास एवं इसकी गतिविधियों के सम्यक संचालन का दायित्व यहां के पदाधिकारियों के अतिरिक्त सीनेट के सदस्यों का भी है। उन्होंने कहा कि हमें नहीं भूलना चाहिए कि भावी पीढ़ी की जिम्मेदारी हम सभी पर है, उनके भविष्य को खराब करने का अधिकार हमें नही है, इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन को आपका सहयोग जरूरी है। बैठक के बाद भी आपका इस ओर कर्तव्य बनता है। उन्होंने पुन: इसे दोहराया कि सीनेट की दो बैठकें होनी चाहिए। एक बजट सत्र और दूसरा शैक्षणिक सत्र।
अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ने संस्कृत के विकास व सम्वर्धन के लिए सभी से सहयोग मांगा और साथ ही भविष्य की पुष्ट कार्य योजना के बल पर विश्वविद्यालय को नई बुलन्दियों के शिखर पर ले जाने का भरोसा भी दिया। विकास के नए रोडमैप का खाका खींचते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में इस विश्वविद्यालय में भी बहुविषयक पाठ्यक्रमों को लागू किया जाएगा। साथ ही संगणक शिक्षा, योग, क्रीड़ा, प्रशासन, लेखा, परीक्षा समेत अन्य कार्यो में अद्यतन परिवर्धन प्रणालियों को भी अपनाया जाएगा। इतना ही नहीं समाज मे विस्तार कार्यक्रम के रूप मे संस्कृत व संस्कृति का प्रसार करते हुए सभी के समक्ष अपना अस्तित्व, सार्थकता व गुणवत्ता को भी प्रतिष्ठापित करना है। खासकर छात्रों को शुभाशीष देते हुए कुलपति प्रो. पांडेय ने आशा जताई कि उनका अध्ययन स्वयं व समाज के लिये हमेशा हितकारी बना रहे और उनका आचरण प्रशंसनीय व अनुकरणीय हो।
कुलाधिपति विश्वविद्यालय पहुंचने पर महाराजा सर डॉ. कामेश्वर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किए। इस अवसर पर राजभवन से आये पदाधिकारियों, पूर्व कुलपतियों के अलावा सीनेट सदस्य विधायक मिश्रीलाल यादव, मदन प्रसाद राय, अंजीत चौधरी, डॉ. रामप्रवेश पासवान, डॉ. विमलेश कुमार, पूर्वकुलपति डॉ. अरविंद कुमार पांडेय, डॉ. विनोदानन्द झा, डॉ. सुरेश प्रसाद राय, कुंवर जी झा, विधान पार्षद डॉ. मदन मोहन झा , विधायक डॉ. रामचन्द्र प्रसाद, विधायक संजय सरावगी, विधायक डॉ. विनय कुमार चौधरी, प्रो. दिलीप कुमार चौधरी, शकुंतला गुप्ता, प्रो. अजित चौधरी, डीएसडब्ल्यू डॉ. शिवलोचन झा, डॉ. कुणाल कुमार झा आदि उपस्थित थे।